बीती रात देखा मोहब्बत का खा़ब था
दिल दोनों तरफ़ बराबर बेताब था
बरसात की वो रिमझिम बरसती बूँदें
और दोनों तरफ़ शबाब बेनिक़ाब था
तुम और मैं दोनों थे आगोश में बँधे
बेअसर दोनों तरफ़ इज़्तराब था
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
बीती रात देखा मोहब्बत का खा़ब था
दिल दोनों तरफ़ बराबर बेताब था
बरसात की वो रिमझिम बरसती बूँदें
और दोनों तरफ़ शबाब बेनिक़ाब था
तुम और मैं दोनों थे आगोश में बँधे
बेअसर दोनों तरफ़ इज़्तराब था
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’