तेरी तस्वीर से दिल को सुकून नहीं है
सौदा है मेरे सर में कोई जुनून नहीं है
तेरा ही प्यार बह रहा है नस-नस में
आकर देख मेरे खा़तिर में खू़न नहीं है
बेज़ुबाँ हर्फ़ मेरी सूरत नहीं कहते
मेरे ख़त में कोई नया मज़मून नहीं है
मैंने देखे हैं कई जिस्म उर्रियाँ होते
खू़ब-रू किसी में तेरे जैसा फ़ुसून नहीं है
खु़दा से लूँगा मैं जन्नत में सब हिसाब
दोज़ख में दूसरा कोई मजनून नहीं है
‘नज़र’ को मिल सके क्या इस दुनिया में
दिल में कोई दर्दे- दुरून नहीं है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’