किसके दिल में दफ़्न ऐसा राज़े-निहाँ होगा
होगा जब मजकूर हाल हमारा बयाँ होगा
फ़रहत है मुझे कितनी तेरे शाद से
जलेंगे जब यह चराग़ सब अयाँ होगा
सब करिश्में हैं उस खु़दा के लेकिन
तुझसिवा कौन मेरे दर्द का राज़दाँ होगा
कुफ़्रो-दीं का मुआमला है सब वगरना
क्यों तुझसे जुदा कोई मेरा आस्ताँ होगा
दाग़ और भी हैं दिल में मिस्ले-आफ़ताब
बादे- इम्तहाँ इक और इम्तिहाँ होगा
बुलावा है महफ़िले-उश्शाक़ में हमारा
जाऊँ या न जाऊँ जी का हर हाल जियाँ होगा
दिल है खा़ली और ये धड़कने खा़मोश
अपनी बज़्म की जोत वही बद्ग़ुमाँ होगा
जिसकी मेहर पर था उम्रभर यक़ीन
मालूम नहीं था वही नामेहरबाँ होगा
गुज़रते रहते हैं नये मुसाफ़िर इस राह से
तेरे बाद मेरा और कोई दिलसिताँ होगा
खुलने दे बाइस दिल के हर सोज़ पर
वरना गुले- तर चश्मे- खू़फ़िशाँ होगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’