और ज़िन्दगी से जाने क्या पाना चाहता हूँ
शायद तुमको अपनी जान बनाना चाहता हूँ
दौरे- मुहब्ब्त को मेरी इक ज़माना हुआ
मैं दिल में तेरी तस्वीर बनाना चाहता हूँ
तुम ख़फा हो मुझसे या उल्फ़त निभाते हो
मैं आज ये सब मसले सुलझाना चाहता हूँ
जाना चाहते हो आज तो चले जाओ न रोकेंगे
फिर लौट के आओगे तुम समझाना चाहता हूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’