मुआफ़ करना तड़पा रहा हूँ
बातें बना रहा हूँ सता रहा हूँ यारा
मैं भी देखता हूँ तुम भी देखती हो
चुप्पी यूँ ही जता रहा हूँ यारा
मुआफ़ करना तड़पा रहा हूँ
बातें बना रहा हूँ सता रहा हूँ यारा
अजब है दो पल की ख़ामोशी
जाने क्या होता है हर बात पे होता है
ढोंग यूँ ही रचा रहा हूँ यारा
मुआफ़ करना तड़पा रहा हूँ
बातें बना रहा हूँ सता रहा हूँ यारा
नाराज़ न होना उदास न होना
फासले बढ़ाके प्यार बढ़ा रहा हूँ यारा
मुआफ़ करना तड़पा रहा हूँ
बातें बना रहा हूँ सता रहा हूँ यारा
मिलने को रोज़ ही मिलते हैं
कल की हसीन मुलाक़ात के लिए
होंठों की मुस्कान चुरा रहा हूँ यारा
मुआफ़ करना तड़पा रहा हूँ
बातें बना रहा हूँ सता रहा हूँ यारा
कितनी भोली हो कितनी मासूम
इसलिए तुमको उलझा रहा हूँ यारा
मुआफ़ करना! मुआफ़ करना!
लो, कान पकड़ता हूँ
अब कभी न करूँगा ऐसा
जैसा आज किया है यारा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२