मुझे यक़ीं था मेरे खु़दा
है तू गर पत्थरों में भी
तेरा दिल पत्थर न होगा
एहसाँ तेरा न भूलूँ मैं
तमाम जनम, मुझे उसका
और उसको मेरा कर दे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
मुझे यक़ीं था मेरे खु़दा
है तू गर पत्थरों में भी
तेरा दिल पत्थर न होगा
एहसाँ तेरा न भूलूँ मैं
तमाम जनम, मुझे उसका
और उसको मेरा कर दे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२