आईना अंधा होता है
वह देख नहीं सकता
आईना बहरा होता है
वह सुन नहीं सकता
पर आईना कभी बेसदा नहीं टूटता
वह गूँगा नहीं होता!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
आईना अंधा होता है
वह देख नहीं सकता
आईना बहरा होता है
वह सुन नहीं सकता
पर आईना कभी बेसदा नहीं टूटता
वह गूँगा नहीं होता!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’