हमने तो कभी दिल की अंधी ख़ला में
किसी चाँद को रोशन होते नहीं देखा
शायद आतिशी इंतकाल था सितारे का
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
हमने तो कभी दिल की अंधी ख़ला में
किसी चाँद को रोशन होते नहीं देखा
शायद आतिशी इंतकाल था सितारे का
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३