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मेरा गीत

अपने तन की सौंधी ख़ुशबू से

अपने तन की सौंधी ख़ुशबू से
मुझको लिपटने दो…
अपने जिस्म की छुअन से मुझे
जलकर मिटने दो…

आओ ज़रा और क़रीब
साँसों को जिस्म से
लगकर सुलगने दो
बाँध लो तन को तन से
दूरियों के सब
बन्धन टूटने दो…

अपने तन की सौंधी ख़ुशबू से
मुझको लिपटने दो…

दिल में जलते हैं
चाहत के दिए
चाहत को तन से
लगकर बढ़ने दो…
कहे जो जिस्म’ जिस्म से
वह ज़बाँ पढ़ने दो
छू लेने दो बदन को
शगुन करने दो…

अपने तन की सौंधी ख़ुशबू से
मुझको लिपटने दो
अपने तन की आँच से लगकर
मुझे मेरी मुहब्बत के
अरमान पूरे करने दो…
अपने जिस्म की छुअन से मुझे
जलकर मिटने दो…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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