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'सौदा' का सुखन

अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं

अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं
नूर१ पर तेरे मगस२ है वो जो परवाना नहीं

अपनी तौबा ज़ाहिदा जुज़ हर्फ़े-रिन्दाना नहीं३
ख़ुम४ हो यहाँ तो एहतियाजे-जामो-पैमाना५ नहीं

ख़ाले-ज़ेरे-ज़ुल्फ६ पर जी मत जला ऐ मुर्ग़े-दिल७
मान मेरा भी कहा ये दाम८ बे-दाना नहीं

अपने काबे की बुज़ुर्गी९ शैख़ जो चाहे सो कर
अज-रु-ए-तारीख़१० तो बेश-अज-सनमख़ाना११ नहीं

गर है गोशे-फ़ह्मे-आलम१२ वरना यूँ कहता है चुग़्द१३
थी न आबादी जहाँ ऐसा तो वीराना नहीं

बे-तजल्ली१४ तूर की किससे ये दिल गर्मी करे
जल बुझे हर शमा पर अपनी वो परवाना नहीं

हाय किस साक़ी ने पटका इस तरह मीना-ए-दिल१५
हो जहाँ रेज़ा१६ न उसका कोई मैख़ाना नहीं

सुनके नासिह का सुख़न१७ मजनूँ ने ‘सौदा’ यूँ कहा
ऐसे अहमक़ से मुख़ातिब हूँ मैं दीवाना नहीं

१.प्रकाश २.मक्खी ३.शराबी शब्द के सिवा कुछ और नहीं
४.शराब का घड़ा ५.जान और पैमाने की आवश्यकता
६.ज़ुल्फ़ के नीचे की त्वचा ७.दिल रूपी पक्षी ८.जाल
९.बड़ाई १०.इतिहास के आधार पर ११.बुतख़ाने से अधिक
(तात्पर्य यह है कि मुह्म्मद से पहले तक काबा भी एक
बुतख़ाना ही था) १२.दुनिया की समझ की बात सुनने वाला
कान १३.उल्लू १४.आलोक के बिना १५.दिल रूपी सुराही
१६.टुकड़ा १७.नसीहत करने वाले का वचन

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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