असर करे दवा कोई
करे है खु़दा-खु़दा कोई
नहीं कहता बज़ा कोई
खु़द से भी है जुदा कोई
मोहब्बत की राह में
वफ़ा करे है अदा कोई
आज तक है ज़िन्दाँ में
जंज़ीरों से मुब्तिला कोई
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
असर करे दवा कोई
करे है खु़दा-खु़दा कोई
नहीं कहता बज़ा कोई
खु़द से भी है जुदा कोई
मोहब्बत की राह में
वफ़ा करे है अदा कोई
आज तक है ज़िन्दाँ में
जंज़ीरों से मुब्तिला कोई
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’