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मेरी त्रिवेणी

तुम दुआ करो अपने प्यार के लिए

तुम दुआ करो अपने प्यार के लिए
मैं दुआ करूँ अपने प्यार के लिए,

फिर देखें दुआ किसकी क़बूल होती है!


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

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मेरी त्रिवेणी

तुझे इक हर्फ़ में कैसे लिख दूँ

बोल तुझे इक हर्फ़ में कैसे लिख दूँ
तस्वीर नहीं बनती कभी हर्फ़ों से…

तू रोशनी और यह तन्हाई अंधेरा है!


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

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मेरी त्रिवेणी

बारहा पिरोये हैं कई ज़ख़्म

बारहा पिरोये हैं कई ज़ख़्म साँस के एक ही धागे में
टुकड़े-टुकड़े बिखरी हुई ज़िन्दगी बहुत नज़दीक़ लगी है

तुम नहीं मेरे साथ तो ज़िन्दगी एक अंधेरी ख़ला है!

बारहा: Several times


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

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मेरी त्रिवेणी

जाने कैसी तन्हाई रहती है

जाने कैसी तन्हाई रहती है महफ़िले-यार में
दिल में अब भी साँस लेते हैं वह पुराने नाम

तुमने मुझे भुलाके उसे याद रखा, तेरी अदा है!


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

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मेरी त्रिवेणी

यूँ तो दिल में इक ख़ला बसा रखी है

यूँ तो दिल में इक ख़ला बसा रखी है हमने, लेकिन
कभी-कभी सितारों के टुकड़े भी गुज़रते हैं इधर से

मैंने उसका दिल तोड़ा था पर उससे कुछ माँगा नहीं!


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३