दिल में रहने वाले को भुलाया नहीं जाता
टूटे आइने से ये अक्स मिटाया नहीं जाता
सारी-सारी रात महकता है चाँद मगर
निगाहों में तेरे बिना उसे बिठाया नहीं जाता
दर्द सहते-सहते हमने सीख लिया
दर्द को ख़ुशी की तह में छुपाया नहीं जाता
जिन आँखों ने देखा है तेरा गुलाबी चेहरा
उन आँखों को आज हमसे भिगोया नहीं जाता
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२