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मेरा गीत

दिल में दुआ दिल में पिया

दिल में दुआ दिल में पिया
दिल ने चाहा दिल ने किया

इश्क़ पर किसका ज़ोर है
बहती हवाओं में शोर है
दिल में दरकती हैं आहें
उनके बिना सूनी हैं बाँहें
चले आओ, चले आओ
ठहर गयीं हैं सब राहें

दिल में दुआ दिल में पिया
दिल ने चाहा दिल ने किया

दिल की कहानियाँ पुरानी हैं
फिर भी उनको सुनानी हैं
दिल में दर्द जलते-बुझते हैं
यह किस्से कहते न बनते हैं
साँसों में फिर उठा धुँआ
कुछ अरमान सुलगते हैं

दिल में दुआ दिल में पिया
दिल ने चाहा दिल ने किया

उगती बेलें तो दीवानी है
जाने कहाँ-कहाँ उगती है
समन्दर किनारों की
चट्टानों-सी यह दुनिया है
फिर भी यहाँ पर जाने
कितनों ने इश्क़ किया है

दिल में दुआ दिल में पिया
दिल ने चाहा दिल ने किया

आग में जलता सूरज रोज़
तपिश देने निकलता है
लेकिन फिर भी यहाँ
चाँद का ही ज़ोर चलता है
इश्क़ में जो मुक़ाम बनते हैं
यहाँ कितनों को मिलते हैं?

दिल में दुआ दिल में किया
दिल ने चाहा दिल ने किया


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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