दिल से पूछो, इसकी मोहब्बत क्या है
दिल बतायेगा इसकी चाहत क्या है
बस तुम हो बस तुम हो सिर्फ़ तुम हो
जैसे लहरों को साहिल से प्यार हुआ
जैसे अम्बर को बादल से प्यार हुआ
ऐसे ही मुझको तुमसे प्यार हो गया
मैं दीवाना हो गया मैं दीवाना हो गया
मैं तेरे प्यार में जान दीवाना हो गया
दिल से पूछो, इसकी मोहब्बत क्या है
दिल बतायेगा इसकी चाहत क्या है
बस तुम हो बस तुम हो सिर्फ़ तुम हो
मुझसे कहते रहे इस जग के लोग
बचना तुम देखो न लेना यह रोग
जाने कब तुम मेरे दिल में बस गयी
जाने कब तुम मुझे मुहब्बत दे गयी
चाहत की नदिया रुकी नहीं बह गयी
दिल से पूछो, इसकी मोहब्बत क्या है
दिल बतायेगा इसकी चाहत क्या है
बस तुम हो बस तुम हो सिर्फ़ तुम हो
अब चाहे जो हो जाये चाहे तूफ़ाँ आये
मुझे तेरी मुहब्बत का इंतिज़ार रहेगा
दिल तेरे लिए धड़कता है यह धड़केगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
4 replies on “दिल से पूछो”
कितनी सुन्दर अनुभूति…
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अब चाहे जो हो जाये चाहे तूफ़ाँ आये
मुझे तेरी मुहब्बत का इंतिज़ार रहेगा
दिल तेरे लिए धड़कता है यह धड़केगा
” waah bhut sunder abheevyktee, full of love for some one’
@Limit, yea sure ! it for someone very special! thanks for visiting and reading…