बहुत उदास-सी एक शाम बैठी है मेरे साथ
अपने ख़ामोश लबों से कह देती है अनकही बातें
दोनों बहुत देर तक बैठे रहते हैं एक साथ
दोनों ऐसे ही रोज़ दिल का बोझ हल्का करते हैं
वो चाँद की बात करती है
मैं तुम्हारी बात करता हूँ….
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४