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मेरा गीत

एक परी धरती पर उतरी

एक परी धरती पर उतरी
वह है इतनी सुन्दर
जैसे हो चंचल तितली
उसके स्वर्णिम केशू
उसके जगमग नैन
जैसे कजरारी रैन
वह है प्रेम की परिभाषा
मधुर मिलन की आशा

एक परी धरती पर उतरी
वह है इतनी सुन्दर
जैसे हो जलती अग्नि
वह है ऐसे मुस्काती
जैसे पवन प्रेम-राग सुनाती
चंदन जैसी उसकी
काया उजली-उजली
मैं तड़प रहा हूँ
जैसे जल बिन मछली

एक परी धरती पर उतरी
वह है इतनी सुन्दर
जैसे हो चंचल तितली
रोकना चाहे पाना चाहे
दिल अपना बनाना चाहे
पर क्यों कह न पाये
यह क्यों घबराये
कहाँ उड़ती चली वह
नीले-नीले अम्बर में


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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