वो क्यों देखती है मुझे?
उसे क्या चाहिए मुझसे?
न रब्त कोई रखा मैंने उससे
न ही उसने मुझसे
फिर क्यों देखती है वो –
बार-बार दूर से ही मुझे
पास आता है तो
नज़रें फिरने लगती हैं उसकी
झुकने लगती हैं,
क्या चाहती है मुझसे?
क्या ढूँढ़ती है मुझमें?
बेवज़ह सिलसिले होते नहीं
बार-बार किसी को…
निगाह में पिरोते नहीं
वो क्यों देखती है मुझे?
उसे क्या चाहिए मुझसे?
वो तन्हा तो नहीं
उसका मुझसे कोई रिश्ता तो नहीं
बात क्या है आख़िर कहे ना!
या कहलवा ही दे किसी से
वो क्यों देखती है मुझे?
उसे क्या चाहिए मुझसे?
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३