गुलाबी चाँद ने याद किया है तुझे
एक दर्द का टुकड़ा दिया है मुझे
जिसके साथ बैठा हूँ आज की शाम
ज़हन से जाता नहीं तेरा नाम
आँखें ख़िज़ाँ के ज़र्द पत्तों-सी हैं
तन्हाइयाँ दिल में रहने लगी हैं
रूठ गया है वक़्त का हर लम्हा
फिर कर गया है मुझको तन्हा
नहीं देखा तेरा चेहरा आज की शाम
किसके सर जायेगा यह इल्ज़ाम
ख़ुदा आप जाने बन्दे पर रहमत
किसने खींची है लकीरों में क़िस्मत
मेरा दिल बना है रेत का दरिया
तुझसे मिलने का कौन-सा ज़रिया
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
2 replies on “गुलाबी चाँद ने याद किया है तुझे”
Got you from ROHIT’s blog.
Read “munaasib-nahiin-main-bhulaa-doom-tujh-ko”(this one as well)
nice to read your poems.
Regards
thanks!