गुलाबी बादलों
के साये
चाँद पर हैं
छाये हुए
हल्की मध्दम
रोशनी
जो दिख रही है
नाम तेरा
मेरे जिस्म पर
लिख रही है
मेरी तक़दीर में
बस एक तू है
मेरी सारी उम्र
का हासिल
बस एक तू है
जिस ख़ाब को
छूना चाहता हूँ
उसकी पहली तस्वीर
बस एक तू है
मेरे दिल की चाँदनी
साँसों की डोर
बस एक तू है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००