मेरी जान न कर मुझसे मोहब्बत इतनी
कि इक दिन तू चली जायेगी
एतबार मैं तेरा कर तो लूँगा
मगर इक दिन तू चली जायेगी
ख़ूबसूरत यह दिन, हसीन यह पल
साथ जो तेरे मैंने गुज़ारे हैं
सारे जहाँ की चाहत है इनमें
और यह सब तुम्हारे हैं, सब तुम्हारे हैं
मैं वही दरख़्त हूँ
जिस पर मौसम आते रहे, जाते रहे
इक बहार की तरह तू भी आयी है
और इक दिन तू चली जायेगी
कोई वादा न कर तू रुकेगी ज़हन में
यादों की इक आँधी इक तूफ़ान की तरह
चले जाना तेरी उल्फ़त की तक़दीर है
माना मेरे साथ है तू हमसफ़र की तरह
मैं वही बादल हूँ
जिसकी बाँहों में छिपता है चाँद कभी-कभी
बिल्कुल चाँद की तरह तू भी आयी है
और इक दिन तू चली जायेगी
मेरी जान न कर मुझसे मोहब्बत इतनी
कि इक दिन तू चली जायेगी…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३