जब भी तेरा नाम लेती हैं
बहुत ख़ुश होती हैं आँखें
मुस्कुराती हैं तेरे लबों से
कहीं ज़्यादा हसीं होके…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
जब भी तेरा नाम लेती हैं
बहुत ख़ुश होती हैं आँखें
मुस्कुराती हैं तेरे लबों से
कहीं ज़्यादा हसीं होके…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२