किसी राह तुमसे मुलाक़ात होगी
फिर हल्की-हल्की बरसात होगी
तुम मुझसे इक़रारे-प्यार करना
ज़िन्दगी की नयी शुरुआत होगी
तेरे पहलू में बैठेंगे दो बातें होंगी
फिर ख़त्म दर्द की रातें होंगी
ग़म भूल जायेंगे प्यार जवाँ होगा
वस्ल की हर शब पहली रात होगी
किसी राह तुमसे मुलाक़ात होगी
फिर हल्की-हल्की बरसात होगी
प्यार की दुनिया सजायेंगे प्यार से
निखर जायेगा घर तेरे सिंगार से
चाँदनी ओढ़ के बैठेंगे सर्द रातों में साथ
कुछ तेरी कुछ मेरी बात होगी
तुम मुझसे इक़रारे-प्यार करना
ज़िन्दगी की नयी शुरुआत होगी
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
2 replies on “किसी राह तुमसे मुलाक़ात होगी”
तेरे पहलू में बैठेंगे दो बातें होंगी
फिर ख़त्म दर्द की रातें होंगी
ग़म भूल जायेंगे प्यार जवाँ होगा
वस्ल की हर शब पहली रात होगी
simply awesome.
Thanks for saying this is awesome!