जय जय भारत भूमि
ओ माँ तुझे सलाम
ओ माँ तुझे सलाम
माँ मैंने प्यार तेरा ही
सीने में सजाकर रखा है
मेरी यादों में, मेरी आँखों में
इक तेरा ही चेहरा है
तू ही मेरी जन्नत है
प्यार तेरा ही पाऊँ सदा
यही मेरी मन्नत है
ओ माँ तुझे सलाम
ओ माँ तुझे सलाम
वन्देमातरम् वन्देमातरम्
ऊँचा हिमालय है मुकुट मस्तक पर
तेरे चरणों में लहराता गहरा सागर
स्वर्ग भी है तेरी धरा पर
सबसे ऊँची तेरी शोभा
ओ माँ तुझे सलाम
ओ माँ तुझे सलाम
वन्देमातरम् वन्देमातरम्
साथ-साथ मिलकर रहते हैं सारे
भाई-भाई एक-दूजे को पुकारें
कोई भेद नहीं है
किसी के दिल में
सबसे ऊँचा अपना एक मुक़ाम
ओ माँ तुझे सलाम
ओ माँ तुझे सलाम
वन्देमातरम् वन्देमातरम्
तलवारें, दीवारें दुश्मन सब लाये थे
मिटे नहीं हम, हटे नहीं हम
हम सबने ऐसे पैर जमाये थे
देश की रक्षा है कर्तव्य हमारा
ओ माँ तुझे सलाम
ओ माँ तुझे सलाम
वन्देमातरम् वन्देमातरम्
महापुरुषों की भी यह भूमि है
नहीं कोई इसमें कोई कमी है
जन्म दिया इन्हें उस माँ ने
लेकिन हाथ दिया है
इन्हें, हमें इस माँ ने
ऐसा है इसका प्यार
ओ माँ तुझे सलाम
ओ माँ तुझे सलाम
वन्देमातरम् वन्देमातरम्
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२