लोग कहते हैं इश्क़ ने किया है मुझको गुमराह
दुनिया में आया हूँ जिसके लिए करे मुझको ज़िबह
जिसके लम्स ने तख़लीक़ किया तेरे ‘विनय’ को
किसने बनायी उसकी निगाहों में शिकनो-गिरह
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३-२००४
लोग कहते हैं इश्क़ ने किया है मुझको गुमराह
दुनिया में आया हूँ जिसके लिए करे मुझको ज़िबह
जिसके लम्स ने तख़लीक़ किया तेरे ‘विनय’ को
किसने बनायी उसकी निगाहों में शिकनो-गिरह
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३-२००४