सूरज सारा दिन महकता रहा
चाँद शबभर सुलगता रहा
सितारों की कलियाँ जगमगाती रहीं
दिन डूबा तो रात बिखरने लगी
अपने अरमानों के आगोश में बैठा
मैं ख़ाबीदा तुझे देख रहा हूँ…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
सूरज सारा दिन महकता रहा
चाँद शबभर सुलगता रहा
सितारों की कलियाँ जगमगाती रहीं
दिन डूबा तो रात बिखरने लगी
अपने अरमानों के आगोश में बैठा
मैं ख़ाबीदा तुझे देख रहा हूँ…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’