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मेरा गीत

कुछ तो था कुछ तो है

कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी
वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती

यूँ बरस गुज़रते हैं
तेरे लिए तड़पते हैं
तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन

कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी…

तुमको पाना है मुझे
मुझको अपनाना है तुझे
ग़म ख़ुशी बन जायेगा
दोनों को क़रीब लायेगा

वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती…

ख़ाब सच हो जायेंगे
हम-तुम मिल जायेंगे
प्यार होगा दरम्याँ
तेरी आँखों में मेरा जहाँ

कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी…



शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

12 replies on “कुछ तो था कुछ तो है”

यूँ बरस गुज़रते हैं
तेरे लिए तड़पते हैं
तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन

वाह भई विनय जी बहुत ही खूब अच्‍छी रचना के लिए बधाई

जोश मलीहाबादी साहब कहते हैं-

इश्क में कहते हो हैरान हुए जाते हो।
ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हो।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती…

” very beautiful soft words”

Regards

बहुत सुन्दर रचना

“तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन”

सटीक शब्द

गोविन्द K. प्रजापत”काका” बानसी
उदयपुर (राजस्थान)

कुछ तो था कुछ तो है,
क्या बात कही नज़र भाई !
बहुत बेहतर !

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