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मेरी ग़ज़ल

लहू गलता रहा मवाद से

दिल क्या लगाया परीज़ाद से
बैठे हाथ धो जश्नो-शाद से

सीखा है इश्क़ फ़रहाद से
क़त्ल हुए निगाहे-दाद से

शम्ए-मुहब्बत जलती है
दो दिलों की सच्ची फ़रियाद से

कर क्या न गुज़रे इश्क़ में
परवाने सितम-ईज़ाद से

शीशाए-दिल चूर-चूर हो गया
लहू गलता रहा मवाद से

पयाम ये सनम को पहुँचा दो
फिरते हैं हम बरबाद से

एक कर्ज़ थी नसीहत उसकी
कौड़ी-कौड़ी चुकायी मियाद से

ज़हन को जलाती है आतिश
ज़िबस जल गये इरशाद से

एक तूफ़ान उठा है दिल में
हम बह गये बे-बुनियाद से

ये गत उसके प्यार ने की
जाना ये मगर बहुत बाद से


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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