जिसे चाहता हूँ वो कहता है मुझसे प्यार न कर
दर्द सहना पड़ेगा’ मेरा इन्तज़ार न कर
मेरा दिल धड़कता है तुम्हारा नाम लेता है ज़ोर-ज़ोर
कहता है दीवाने मुझपे तू इख़्तियार न कर
मेरी दुआ में असर आया है एक मुद्दत के बाद
सर्द आह कहती है मुझको शरार न कर
दुनिया का डर कैसा? क्या उसे नहीं मेरा एतबार
बावजूदे-प्यार वह नहीं देखता है मुझे मुड़कर
मैंने क्या ख़ता की ख़ुदाया मुझे किस बात की
उसकी नज़र क्यों झुक जाती है मुझे देखकर
मैं कम-शक़्ल हूँ उसे इस बात की नहीं परवाह
उसको चाहूँगा मैं सारे रस्मो-रिवाज़ तोड़कर
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००५