नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही
मुझको मोहब्बत है’ तुम से ही
नाज़ है तुम्हें’ थोड़ा ग़ुरूर मुझे
मैंने दिल लगाया है’ तुम से ही
आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे’ तुम से ही
आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच
ज़रूर कल मिलेंगे’ तुम से ही
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
13 replies on “नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही”
Good Morng. Vinay ji
आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच
ज़रूर कल मिलेंगे’ तुम से ही
Aap ke iis lines se pyaar ko pany ki khwahish or ummid saaf dihaii deti hain.
Bahut sundar likha hain Badhaii aapko
बहर में लिखेंगे तो अधिक आनंद आएगा…कोशिश तो कीजिये…
नीरज
ज़रूर कोशिश करेंगे साहब, आपकी बात बिल्कुल सही है। शुक्रिया…
बढिया लिखा है ..
BAHOT KHUB SAHIB… KAHAN TO WAAKAEE BAHOT HI ACHHA HAI… MAGAR NEERAJ JEE KE BAAT PE BHI GAUR KARE….. AAP BLOG KI DUNIYA KE SABSE PURAANE MERE MITRO MESE HAI … ANYATHA NAA LE… KAHAN TO KAMAAL KA … DHERO BADHAAYEE AAPKO..
ARSH
बहुत ही सुन्दर भावपक्ष…
आशान्वित हैं, अच्छा है, लेकिन कस्मे-वादे कभी पूरा होते हैं क्या?
क्या पता साहिब? कुछ होगा तो आपको ज़रूर बतायेंगे साहब!
आशान्वित हैं, अच्छा है, लेकिन कस्मे वादे कभी पूरा हुये हैं क्या?
आप सभी का धन्यवाद!
bahut khuub !
umeed par duniya kayam hai.
धन्यवाद अल्पना जी!
आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे’ तुम से ही
क्या बात लिखी है विनय जी………….
इश्क में ऐसी आशा रखना तो लाज़मी है……….उम्मीद पर ही तो दुनिया टिकी है ………..बहूत खूबसूरत शेर