पहली बार देखा तुमको
जाने क्या हुआ
दिल की धड़कनों का
हल्का-हल्का एहसास हुआ
डूब गया मैं तेरी आँखों में
जाने-मन जाने-जानाँ
तुमने मेरा चैन ले लिया
वह तेरी पहली नज़र
जाने-मन जाने-जानाँ
यह दिल मेरा खो गया
पहली बार देखा तुमको
जाने क्या हुआ
दिल की धड़कनों का
हल्का-हल्का एहसास हुआ
जब तक देखूँ न तुमको
दिल क़रार पाता नहीं
जाने कैसा तुमने जादू किया
जाने कैसा तुमने दर्द दिया
पहली बार देखा तुमको
जाने क्या हुआ
दिल की धड़कनों का
हल्का-हल्का एहसास हुआ
ढूँढ़ रहा था मैं गली-गली
जिसको बरसों से
आज मिली हो तुम
एक तस्वीर बनायी थी
मैंने अपने दिल में
आज मिली हो तुम
पहली बार देखा तुमको
जाने क्या हुआ
दिल की धड़कनों का
हल्का-हल्का एहसास हुआ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
One reply on “पहली बार देखा तुमको”
pehli mulakat yaadgar khubsurat