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मेरी ग़ज़ल

फूलों से ख़ुशबू की तरह

ग़ुलाम को अपने आप आज़मा लीजिए
प्यार करने की उसको सजा दीजिए

दीवाने की दीवानगी का क्या कीजिए
उसको फ़ना करके आप बक़ा दीजिए

फूलों से ख़ुशबू की तरह आप अपनी
मोहब्बत का फ़र्ज़ अदा कीजिए

दर्दे-दिल घर कर गया सीने में
अपने हाथों आप इसको शिफ़ा दीजिए

मेरी किस बात ने किया तुमको रुसवा
आज यह सभी मसले सुलझा लीजिए

जिस ग़म में सुलगता हो रोज़ सीना
उसको अपने अश्कों में बहा दीजिए

लाख बुरा मानें आपका दुनिया वाले
आप बस अपने दिल का कहा कीजिए

मैं बहुत रोज़ से बेक़रार फिरता हूँ
अपने हुस्न की वही ज़ौ दिखा दीजिए

‘नज़र’ आपको दर-ब-दर ढूँढ़ता है
आप उसका गुलशन महका दीजिए


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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