male vocal:
रुके-रुके-से पल, धीरे-धीरे बहने लगे
female vocal:
बड़े शामीन थे कल
रफ़्ता-रफ़्ता उजले होने लगे…
male vocal:
ख़ाब है या कोई सूरज, गिर के बुझ गया है
वक़्त से गिरा है कोई लम्हा
तन्हाइयों के साथ बह गया है…
female vocal:
जाने क्या ख़ाब हम देखने लगे
चलने लगे कुछ नये सिलसिले
male vocal:
रुके-रुके-से पल, धीरे-धीरे बहने लगे…
female vocal:
इक नया दिन उतरा है आसमाँ के परों से
ढलेगा तो शाम आयेगी,
male vocal:
बड़ा खुश्क है मेरी आँखों का पानी
तेरे जाने से इसमें नमी आयेगी
male vocal:
पर जाने क्यों आज यह उतरने लगे
female vocal:
तेरे नयनों में भर आये आँसू
मुझसे कुछ कहने के लिए…
male vocal:
रुके-रुके-से पल, धीरे-धीरे बहने लगे
female vocal:
बड़े शामीन थे कल
रफ़्ता-रफ़्ता उजले होने लगे…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२