एक बार देखा था तुझे
हाथों में चिराग़ लिए
चौखट पर खड़ी थी
चाँद की निगाहें
तुझ पर टिकी थीं
सारी ज़मीं
नवेली दुल्हन की तरह सजी थी
कानों में पटाखों का शोर
और आँखों में मेहताब की
रंगीन रोशनियाँ थीं
कुछ शामीन से
लिबास में थी तू
और मैं तेरे ही जानिब
देखे जा रहा था
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२