मेरे दर्द न बँटा यार मेरे
कहीं से उसे ढूँढ़ ला यार मेरे
जिसके दीदार से मुझे चैन आये
वह मस्त जाम ला यार मेरे
आड़े वक़्त कोई ना काम आया
न बुरा कोई न भला यार मेरे
ताअल्लुक़ तेरा मुझसे क्या है
मोहब्बत के सिवा यार मेरे
फ़िराक़ है गर नसीब तुझसे
क्या करे दिलजला यार मेरे
मेरी सदा तो न उस तक पहुँची
उसे तू ही बुला के ला यार मेरे
मेरा बुरा हाल है उसके पीछे
उसको जाके बतला यार मेरे
ताज़ा तबीयत मेरी ख़ुश्क़ है
नम हाथों से सहला यार मेरे
‘नज़र’ की बदनसीबी देखिए
उसे पाकर न पाया यार मेरे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४