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मेरी ग़ज़ल

तंग इस दिल से आ गये हम तो

तंग इस दिल से आ गये हम तो
देखिए दूर ख़ुद से आ गये हम तो

सुख-दु:ख के फेरों से उकता गये हम तो
आजिज़ अपने दिल से आ गये हम तो

रेतीली सूखी ज़मीं पे सब्ज़ देखने को
आँखों में गिरियाँ बन के आ गये हम तो

बहुत चाहा तुमसे मिल के सब कह दें
लफ़्ज़ बनके ज़ुबाँ पे आ गये हम तो

ज़िन्दगी की बात ज़िन्दगी से करते
साहिल तक अकेले आ गये हम तो

बावरे मन की बावरी-सी बतियाँ
बावरी मीठी बतियों में आ गये हम तो

जुदाई में साँसें निश्तर-सी चुभती हैं
ऐ मौत दर तक तेरे आ गये हम तो

न ‘नज़र’ न ‘विनय’ न ‘वफ़ा’ हूँ मैं
यहाँ तक ग़ुमनाम से आ गये हम तो


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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