वह गया चैन गया ‘नज़र’
दिल तेरा मुरझा गया ‘नज़र’
जाने कब वह आयेगा ‘नज़र’
तब तलक क़रार गया ‘नज़र’
दीदारे-माहज़बीं फिर हो
दमे-आख़िर आ गया ‘नज़र’
लिखे हूँ उसका नाम हाथों में
लब बारहा वहीं गया ‘नज़र’
भिगोऊँ दामन अश्क़े-लहू से
पैमाना यह भर गया ‘नज़र’
हासिल है मुझको सब कुछ
वह नाम लबों पे आ गया ‘नज़र’
लुत्फ़े – आतिशे – इश्क़
क़सम से मज़ा आ गया ‘नज़र’
वस्ल को तस्लीम कर खु़दा
नामे-शीना पे मिट गया ‘नज़र’
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’