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मेरी ग़ज़ल

तेरे बिगैर

दिल में हौसला न होता अगर हम जी न पाते तेरे बिगैर
फ़रियाद किससे करूँ कट रही है आते जाते तेरे बिगैर 

जुटा के दर्द से साँसें ज़ीस्त जीता जा रहा हूँ तेरे बिगैर
कितने ताना-ए-रफ़ीक़ो-हरीफ़ सुन रहा हूँ तेरे बिगैर 

बिखरी हुई है शाम हर तरफ़ तन्हा तेरे बिगैर
रेत की तरह दर-ब-दर फिरा मैं तन्हा तेरे बिगैर

कोई क्या जाने दर्दो-ग़म ‘नज़र’ का तेरे बिगैर
असर बेअसर हुआ आहे-कमअसर का तेरे बिगैर 


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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