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मेरा गीत

तेरी जगह कौन ले सकता है

तेरी जगह कौन ले सकता है मेरे जीवन में
तुम ही तो थी तुम ही तो हो मन आँगन में

सपनों की पुरवाइयाँ तेरा बदन को छूती थीं
तेरे रूप की कहानी नित मुझसे कहती थीं
आज भी वह सारे सिलसिले सब वैसे हैं
गीली राहों की गीली-गीली मिट्टी के जैसे हैं

आज भी तेरे द्वार खड़ा हूँ मैं तेरी लगन में
तेरी जगह कौन ले सकता है मेरे जीवन में
तुम ही तो थी तुम ही तो हो मन आँगन में

मुझको प्यार सिखाने वाली प्रिय तुम कहाँ हो
मेरे मन की उत्कंठित अभिलाषा तुम कहाँ हो
काली रातों को चंद्रप्रभा के दर्पण दिखा दो
मेरे जीवन को एक नयी सुगन्धित सुबह दो

आज भी जल रहा हूँ मैं बिछोह की अगन में
तेरी जगह कौन ले सकता है मेरे जीवन में
तुम ही तो थी तुम ही तो हो मन आँगन में


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: ०५ जून २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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