तुम मेरी ज़िन्दगी मेरा क़रार
हो गया मुझको तुमसे प्यार
तू आ जाये अगर मेरे क़रीब
तो खुल जायेगा मेरा नसीब
तुमको जिस दिन से देखा है
आँखों में तेरा ही चेहरा है…
तुम मेरी ज़िन्दगी मेरा क़रार
हो गया मुझको तुमसे प्यार
तेरी जुदाई हम सह न सकेंगे
तेरा नाम लब से न मिटायेंगे
भूल गया सारा जहाँ तेरे लिए
कर जाऊँगा कुछ भी तेरे लिए
रस्में तोड़ दूँ, दुनिया छोड़ दूँ
भूल जाओ ग़म इतना प्यार दूँ
तुम मेरी ज़िन्दगी मेरा क़रार
हो गया मुझको तुमसे प्यार
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
One reply on “तुम मेरी ज़िन्दगी मेरा क़रार”
hmmmmmm touching lines wonderful.