तुम न जानो हाल मेरा तो मैं क्या करूँ
दिल लिखा तेरे नाम ओ जानम अब जाँ लिखूँ
ख़ुशबू, बादल, चाँद सभी से तेरी बातें करूँ
रश्क़ करें वह जब उनको तेरे जैसा कहूँ
मेरी क़िस्मत बनकर तुम आये थे
दिल में बस गये तुमको मोहब्बत लिखूँ
क्या खोया क्या पाया मैंने बाद तेरे
तेरी यादों के साये तले ख़ुद से तन्हा रहूँ
एक तमन्ना जो दिल की रेत में दब गयी
तुम ही कहो जुज़ तेरी चाहत क्या लिखूँ
तस्वीर मिली उससे जिसे जानता भी नहीं
उसको तेरा क़ासिद या फ़रिश्ता कहूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३