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मेरा गीत

तू है जाने-वफ़ा मेरी जाने-वफ़ा

तू है जाने-वफ़ा मेरी जाने-वफ़ा
मेरी नज़रों ने पायी मंज़िल जहाँ
वह तू है तू है मेरी हमनवा

जान है जिस्म में वह तेरे लिए
तू कहाँ है जाने-वफ़ा जाने-वफ़ा

आ यहाँ इक बार चलके,
खड़ा हूँ यहाँ मैं तेरे इंतज़ार में
जाने कब से जाने कब से

दिन गुज़र जाते हैं रातें उतर जाती हैं
क्या अब तक न समझी तू…
तू है मेरी जाने-वफ़ा जाने-वफ़ा

इस जनम में सनम जब मिले हैं
फिर दूर कैसे रहें जाने-वफ़ा हमनवा

प्यार है मुझको तुझसे
यह हवा को भी पता है
ख़ुशबू उड़ी है
दिल की धड़कनों में जाके घुली है

जिसको ढूँढ़ रहा था दर-ब-दर
वह तू है तू है हमनवा
तू है जाने-वफ़ा मेरी जाने-वफ़ा

मेरी नज़रों ने पायी मंज़िल जहाँ
वह तू है तू है हमनवा
तू है हमनवा मेरी है तू जाने-वफ़ा


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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