उम्मीदो-शौक़ सारे मैंने
तुझसे जोड़ लिए
सारे रास्तों की मंज़िलें
कुछ और थीं
वह रास्ते तेरी ओर मोड़ लिए
अब जिस मोड़ पर है तू
उसी मोड़ पर आकर मिलूँगा
चाहे जिस मोड़ पर मुड़ जाना
हर मोड़ पर मैं खड़ा मिलूँगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२