याद तो आती ही होगी ना
कभी दिन में कभी रात में
कभी सहेलियों के साथ-
किसी बात में
और फिर वह तुम्हें
छेड़ती भी होगीं ना
याद तो आती ही होगी ना…
उन गुलमोहर के फूलों में
उन चनार के पत्तों में
यादें तो होगीं ना
और बारिशों के साथ
खेलती भी होगी ना
याद तो आती ही होगी ना…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२