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'सौदा' का सुखन

याँ न ज़र्रा ही झमकता है फ़क़त गर्द के साथ

याँ न ज़र्रा ही झमकता है फ़क़त१ गर्द के साथ
जल्वागर नूर है ख़ुरशीद२ का हर फ़र्द३ के साथ

ज़ख़्म की तरह ज़माने में तू काट अपनी उम्र
ख़ंदा४ या गिरिया५ जो कुछ होवे सो टुक६ दर्द के साथ

क़द्र नहीं दौलते-बे-सई की७ तुझको वरना
ज़र८ को निस्बत९ नहीं आशिक़ की रुख़े-ज़र्द१० के साथ

तेग़े-चोबी से कहाँ क़ब्ज़े-फ़ौलाद हो नस्ब११
न रहे साहिबे-जौहर१२ कभू नामर्द के साथ

हम कहाते हैं तिरे बंदए-बेज़र१३ प्यारे
गुल ने बुलबुल को ख़रीदा है ज़रे-वर्द के साथ१४

किस तरह ख़ानए-गरदूँ के बिना१५ हो दिलचस्प
मानी१६ इस बैत१७ के इक हम हैं सो आवर्द के साथ१८

क़ता

सुब्ह-दम आज चमन में ब-लब जो ‘सौदा’
शे’र बैठा वो ये पढ़ता था निपट दर्द के साथ

दिल को चाहा मैं ख़ाली करूँ मानिंदे-हुबाब१९
हो गई जान हवा यक-नफ़से-सर्द के साथ२०

१.केवल २.सूरज ३.व्यक्ति ४.हँसी ५.रुदन ६.ज़रा ७.बिना प्रयास मिली दौलत की
८.सोना(धन-दौलत) ९.सम्बन्ध १०.पीला पड़ा चेहरा ११.लकड़ी की तलवार से फ़ौलाद
का क़ब्ज़ा कब गाड़ा जा सकता है १२.गुणवान व्यक्ति १३.बेमोल बंदा १४.बुलबुल के
गीत के साथ १५.आकाश रूपी घर की बुनियाद १६.अर्थ १७.शे’र १८.सप्रयास(उर्दू काव्यशास्त्र
में उस शे’र को आमद कहते हैं जो अपने आप मुँह से फूट पड़े जबकि सप्रयास कहे गये
शे’र को आवर्द या आवरद कहते हैं) १९.बुलबुले की तरह २०.ठण्डी साँस के साथ

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “याँ न ज़र्रा ही झमकता है फ़क़त गर्द के साथ”

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