कोई बुरा लाख चाहे अब बुरा न होगा
कोई अब मेरे दिल में दूसरा न होगा
सबकी मात मुक़र्रर कर दी खु़दा ने
कोई ज़माने में मुझसा ख़रा न होगा
खरोंचे कोई मेरे दिल को कितना ही क्यों ना
किसी का दिया कोई ज़ख़्म हरा न होगा
मेरा क़रार है तस्वीरे-शीना से
ज़माने भर में मुझसा दूसरा न होगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’