मुझसे कहता है खु़दा मेरा दो इम्तिहाने-मोहब्बत
मैं कहता हूँ उससे लेते रहो इम्तिहाने-मोहब्बत
लहू दर्द खा़र पत्थर नाले आहो-फ़ुगाँ सब
मुझे है मंज़ूर दिल से देते हैं जो इम्तिहाने-मोहब्बत
शक्कर-सा घुल जाता है आँख के पानी में मेरा दिल
देखिए और कितना रुलाता है मुझको इम्तिहाने-मोहब्बत
अबके बरस शायद बरसें सहाबों से प्यार की बूँदें
अब तो किसी तरह खु़श-अंजाम हो इम्तिहाने-मोहब्बत
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’