आरज़ू तुम हो मेरी मुझको है पता
मैं तो तुमसे मोहब्बत करता हूँ
तुम करती हो या नहीं, नहीं हैं पता
मिलते हो तुम यह दिल धड़कता है
कहते नहीं जो तुम यह दिल सुनता है
आरज़ू तुम हो मेरी मुझको है पता
मैं तो तुमसे मोहब्बत करता हूँ
तुम करती हो या नहीं, नहीं हैं पता
तुमसे कहने को बहुत कुछ है मगर
मैं कुछ सोचकर रह जाता हूँ फिर
जाने क्यों दिल में छुपा है यह डर
क्या होगा जो तुम ना मिले अगर
आरज़ू तुम हो मेरी मुझको है पता
मैं तो तुमसे मोहब्बत करता हूँ
तुम करती हो या नहीं, नहीं हैं पता
तू दिल के क़रीब है फिर भी दूर बहुत
पर ना जाने क्यों बढ़ती जाती है चाहत
तेरे दिल में है क्या, यह नहीं है पता
तुम मेरे क़रीब आओगे मुझको है पता
मैं तो तुमसे मोहब्बत करता हूँ
तुम करती हो या नहीं, नहीं हैं पता
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९