तुमने केवल वही देखा
जो तुम्हारी आँखों ने देखना चाहा
तुमने यह ना देखा, जाने-जाँ
मैंने तुम्हें कितना चाहा
रात हो या दिन हो
मेरी यादों में रहते तुम हो
मेरे पास तेरी तस्वीर है
यह तस्वीर मेरे लिए तुम हो
दिल में तू बस गया
ख़ाबों का नया गुल खिल गया
आयी मौसम में फिर बहार है
दिल कहता है तू मेरा यार है
तुमने केवल वही देखा
जो तुम्हारी आँखों ने देखना चाहा
तुमने यह ना देखा, जाने-जाँ
मैंने तुम्हें कितना चाहा
तेरी बे-रुख़ी तेरे चेहरे पर थी
जब-जब मैंने इक़रार करना चाहा
दिल के सौ टुकड़े हो गये
जब तुमने किसी और को चाहा
तू माने न मुझे अपना
पर मैं तुझे अपना मानती हूँ
तू जाने कहाँ खो गया
पर मैं तुझे आज भी ढूँढ़ती हूँ
तुमने केवल वही देखा
जो तुम्हारी आँखों ने देखना चाहा
तुमने यह ना देखा, जाने-जाँ
मैंने तुम्हें कितना चाहा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९