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मेरी ग़ज़ल

आश्ना

ना पूछ हाले-दिले-बेक़रार आश्ना
हर घडी़ है तेरा इंतज़ार आश्ना

मनो-दिल हैं उम्मीदवार आश्ना
तुमपे हुए दोनों जाँनिसार आश्ना

न उतरा चढ़के यह खु़मार आश्ना
चाहिए सिर्फ़ तेरा प्यार आश्ना

दिल है बड़ा बे-इख़्तियार आश्ना
हो जाए इक दफ़ा तेरा दीदार आश्ना

खू़ने-दिल अश्क बनके टपका
मगर कहता रहा बार-बार आश्ना

आमने-सामने आये तो लब सीं लिये
दिल से लब न आयी गुफ़्तार आश्ना

तुमसे करूँ जज़्बा-ए-दिल बयाँ
हैं मेरे सीने में दाग़ हज़ार आश्ना

निगाह मौसमे-माज़ी से हटती नहीं
तू कभी आये बनके बहार आश्ना


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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