ना पूछ हाले-दिले-बेक़रार आश्ना
हर घडी़ है तेरा इंतज़ार आश्ना
मनो-दिल हैं उम्मीदवार आश्ना
तुमपे हुए दोनों जाँनिसार आश्ना
न उतरा चढ़के यह खु़मार आश्ना
चाहिए सिर्फ़ तेरा प्यार आश्ना
दिल है बड़ा बे-इख़्तियार आश्ना
हो जाए इक दफ़ा तेरा दीदार आश्ना
खू़ने-दिल अश्क बनके टपका
मगर कहता रहा बार-बार आश्ना
आमने-सामने आये तो लब सीं लिये
दिल से लब न आयी गुफ़्तार आश्ना
तुमसे करूँ जज़्बा-ए-दिल बयाँ
हैं मेरे सीने में दाग़ हज़ार आश्ना
निगाह मौसमे-माज़ी से हटती नहीं
तू कभी आये बनके बहार आश्ना
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’